स्पैनिश में एक कथन है – “El Hombre Que Se Levanta Es Aún Más Grande Que El Que No Ha Caído ” इसका हिंदी अनुवाद यह है कि ” गिरकर खड़ा होने वाला इन्सान कभी न गिरने वाले इन्सान से महान है। “
6 मई को राफेल नडाल मैड्रिड ओपेन का क्वार्टर फ़ाइनल खेलते हैं। जहाँ उनके उत्तराधिकारी कार्लोस अलकराज़ उन्हें आसानी से हरा देते हैं।

12 मई को नडाल रोम मास्टर्स का राउंड ऑफ़ 16 मैच खेलते हैं। जहाँ कनाडा के शापावलोव उन्हें हरा देते हैं – और तो और दूसरे सेट के दौरान नडाल लडखड़ाते हुए भी देखे जाते हैं।

मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस होती है। नडाल से सवाल किया जाता है – “फ़्रेंच ओपन सामने है! आज आप ‘complete’ नहीं दिखे। क्या आप इंजर्ड हैं?” नडाल जवाब देते हैं ,”देखिए ! मैं इंजर्ड नहीं हूँ। मैं तो ऐसा खिलाड़ी हूँ जो इंजरी के साथ जी रहा है। और जहाँ तक फ़्रेंच ओपन की बात है तो मैं इतना ही कहूँगा कि वो मेरे लिए बहुत ज़रूरी है और मैं अपनी तरफ़ से कोई कसर नहीं छोडूँगा।”
29 मई, राफेल नडाल फ्रेंच ओपन के चौथे दौर में आगर अल असीमी के साथ खेलते हैं। मुक़ाबला 4 घंटे 21 मिनट चलता है। रोला गैराँ के इतिहास में नडाल का यह तीसरा फाइव सेटर ( पाँच सेटों तक चलने वाला मैच ) साबित होता है। स्कोरलाइन 3-6,6-2,6-3,3-6,6-3 बनती है और नडाल जीत जाते हैं।

29 मई के दो दिन बाद 1 जून को, राफेल नडाल विश्व नंबर 1 नोवाक जोकोविच से खेलते हैं। मुक़ाबला 4 घण्टे 12 मिनट चलता है। नडाल पहले दोनों सेटों के शुरुआती गेमों में जोकोविच की सर्विस ब्रेक करते हैं। स्कोरलाइन 6-2,4-6,6-2,7-6(4) बनती हैं और नडाल जीत जाते हैं।
मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस होती है। जोकोविच कहते हैं ,”उन्होंने दिखाया कि वो एक महान विजेता क्यूँ हैं? लाल मिट्टी पर इस तरह से खेलना और मैच को ऐसे ख़त्म करना बहुत मुश्किल काम है। उनको और उनकी टीम को बधाई। वो इस जीत के सच्चे हक़दार हैं “
लाल मिट्टी और ख़ासकर फ़्रेंच ओपन में राफेल नडाल का खेल देखते बनता है। क्या फोरहैंड,क्या बैकहैंड और क्या ड्रॉप शॉट! सब कुछ उनके लिए आसान हो जाता है। लाल मिट्टी पर उतरते ही आक्रामकता नडाल में रच बस जाती है। जीतने की भूख और उस भूख को मिटाने के लिए जब नडाल एक छोर से दूसरे छोर भागते हैं – ‘सुंदर दीखने लगते हैं‘।
दूसरे-तीसरे सेटों में नडाल की प्रतिक्रिया देखकर डर सा लगने लगता है। नडाल की भाव भंगिमा का अनुवाद दिनकर कृत ‘रश्मिरथी’के ” यह देख गगन मुझमें लय है – यह देख पवन मुझमें लय है ” जैसा जान पड़ता है। वो अपने विकराल स्वरूप में परिवर्तित हो जाते हैं। वो अद्वितीय लगने लगते हैं।
दीपेंद्र सिवाच सर के शब्दों में ,“फिलिप कार्टियर मैदान की लाल मिट्टी से उनका इतना आत्मीय लगाव है कि वो मिट्टी भी उनके रक्त की तरह उनमें अतिशय उत्साह की ऑक्सीजन से युक्त कर उनको अपराजेय बना देती है।”
इसके बाद नडाल ने सेमीफाइनल में ज्वेरेव और फाइनल में कैस्पर रूड को हराया और एक और मस्केटियर ट्रॉफी अपने नाम की।

दो लगातार टूर्नामेंट हारने के बाद नडाल की ऐसी उछाल देखकर मुंह से – ‘VAMOS RAFA’ निकलना स्वाभाविक है।