FEDERER : A FAIRY TALE

बीते दिनों रोजर फ़ेडरर ने सन्यास का एलान किया आइए जानते हैं रोजर, रोजर कैसे बनें

8 अगस्त, 1981 को जन्मे रोजर फ़ेडरर अपने 17वें बसंत  (1998)  में अपना प्रोफेशनल  टेनिस करियर शुरू करते हैं । शुरुआती दो साल उनके लिए उदास रुतों का क़ाफ़िला लेकर आते हैं हालाँकि बहारें भी आती जाती रहती हैं ।

फेडरर 20  सितंबर, 1999 को फ्रेंच ओपन के विजेता कार्लस मोया को हराते हैं साथ ही साथ दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 100 खिलाड़ियों की सूची में जगह भी पाते हैं। 2001 में अपने देश की ओर से खेलते हुए मार्टिना हिंगिस के साथ होपमन कप भी जीतते हैं लेकिन एकल खिलाड़ी के तौर पर अभी तक कोई ख़िताब नहीं जीत पाए हैं।  टेनिस की बगिया में आए 2 साल गुज़र गए हैं लेकिन फूलों का हार अब तक गले नहीं आया है ।

 वक़्त मानो कह रहा हो:-

अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला

जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा 

 (महशर बदायूँनी )

फ़ेडरर को वक़्त की हर चुनौती स्वीकार थी। 2001 मिलान कप के फ़ाइनल में जूलियन बटर को हराकर फ़ेडरर अपने प्रोफ़ेशनल करियर का पहला ख़िताब जीतते हैं। अब टेनिस जगत उनका इंतज़ार कर रहा है।

फ़ेडरर 2001 का फ़्रेंच ओपन खेलने जाते हैं और पहली बार ग्रैंड स्लैम के क्वार्टर फाइनल तक पहुँचते हैं। क्वार्टर फाइनल में हारते हैं और बाहर हो जाते हैं। फ़्रेंच ओपन ,जो कि फ़ेडरर की जगह कभी न थी , के क्वार्टर फ़ाइनल तक पहुँचना फ़ेडरर को आत्मविश्वास से भर देता है। 

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 वक़्त उसी साल यानी 2001 में ही फ़ेडरर को विम्बलडन ओपन के चौथे दौर में लाकर खड़ा कर देता है। एक तरफ़ हैं 4 बार के विम्बलडन चैंपियन और तात्कालिक महानतम खिलाड़ी पीट सम्प्रास और दूसरी तरफ़ 19 साल का एक नवयुवक।

अधिकतम पाँच सेट तक घमासान चलता है और 19 वर्षीय फ़ेडरर जीत जाते हैं। उसके बाद फ़ेडरर क्वार्टर फाइनल में चौथे सेट तक पहुँचते हैं और अपने करियर का सबसे बड़ा मौक़ा गँवा देते हैं। क्वार्टर में फ़ेडरर के हारते ही टेनिस आलोचक पीट सम्प्रास के ऊपर फ़ेडरर की जीत को एक रात की सफ़लता बताने में जुट जाते हैं लेकिन उनको कहाँ मा’लूम था कि फ़ेडरर जीत-हार के चक्र से जल्द ही बाहर निकलने वाले हैं ।

अब न मेरे हाथ छू पाएगी तूफ़ानी हवा 

जिस दिए को अब जला दूँगा वो जलता जाएगा 

(राजेन्द्र मनचंदा बानी)

2003 के सत्र में फ़ेडरर के पास एक ग्रैंडस्लैम (विम्बलडन ओपन) के साथ साथ 7 एटीपी ख़िताब हैं और उससे बड़ी ख़बर यह है कि अब फ़ेडरर दुनिया के शीर्ष खिलाड़ी एंडी रॉडिक से केवल एक पायदान नीचे हैं। 

2004 के सत्र में फ़ेडरर के पास ऑस्ट्रेलियन ओपन, यू एस ओपन और विम्बलडन ओपन के साथ साथ 11 एटीपी ख़िताब हैं और उससे बड़ी ख़बर यह है कि अब फ़ेडरर दुनिया के नंबर 1 खिलाड़ी हैं। 

2005 का सत्र भी अच्छा निकलता है वहीं 2006 में रोजर अपने जीवन की सबसे अच्छी टेनिस खेलते हुए 3 ग्रैंड स्लैम और रिकार्ड 14 ए टी पी ख़िताब जीतते हैं।

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2007 का सत्र भी अच्छा निकलता है वहीं 2008 में बीमारी से उबरकर फ़ेडरर अपने देश स्विट्जरलैंड के लिए ओलंपिक गोल्ड ले कर आते हैं, साथ ही साथ पांचवीं बार US ओपन भी जीतते हैं।

2009 में फ़ेडरर विम्बलडन जीतते ही रिकार्ड 15 वीं बार ग्रैंड्स्लैम जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम करते हैं और  रोलैंड गैरस यानी नडाल के गढ़ में जीतते ही करियर ग्रैंडस्लैम की उपलब्धि भी हासिल कर लेते हैं। और तो और इस साल रिकार्ड पाँचवी बार नंबर 1 रहते हुए साल ख़त्म भी करते हैं। 

आठ बार के ग्रैंड स्लैम चैंपियन आंद्रे अगासी कहते हैं 

“सामान्यतः जब गेंद मेरी रैकेट से छूटती है तब मुझे ठीक ठीक मा’लूम होता है वो कहाँ जा रही है और मैं कब अपना पॉइंट जीतूँगा लेकिन रोजर के मामले में ऐसा बिल्कुल नहीं है। जब मैंने उन्हें 2005 के US ओपन में देखा तो दंग रह गया। वो एक पल को अपने जूतों की ओर देखता और दूसरे पल को उसका खेल सातवें आसमान की ऊंचाइयों पर होता। यह मेरा सौभाग्य था कि मैंने उसे इस तरह खेलते हुए देखा भले ही वो स्टेडियम में मैच देखने की सबसे ख़राब जगह थी (प्रतिद्वंद्वी)। सच तो ये है कि वो इतना शानदार खिलाड़ी है कि मुझे अपने अच्छे दिनों में भी उसे हराने के लिए कड़ी मशक्क़त करनी होगी। वह सर्वकालिक महान है।”

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2013 का समय है, अब टेनिस में फ़ेडरर के अलावा नडाल, जोकोविच और मरे भी अपनी छाप छोड़ने लग गए हैं । फ़ेडरर एक तरफ़ जहाँ अपनी चोट से परेशान हैं वहीं दूसरी तरफ़ जोकोविच, नडाल अपने अपने क़द को आसमान तक ले जाने में लगे हुए हैं। 

2014 में अपने देश के लिए फ़ेडरर डेविस कप जीतते हैं और 2015 में विम्बलडन के साथ साथ US OPEN भी जीतते हैं। इसी साल अपने करियर की 1000 वीं जीत भी अपने नाम करते हैं। 

फिर आता है 2016 , फ़ेडरर अपनी कमर और अपने घुटने से परेशान हो जाते हैं । सर्जरी होती है और लंबे समय के लिए फ़ेडरर को कोर्ट से दूर रहना पड़ता है । 

फ़ेडरर 2017 में लौटते हैं । ऑस्ट्रेलियन ओपन और विम्बलडन ओपन जीतते हैं और चुप चाप अगले साल की ओर रुख़ कर लेते हैं । 

2018 हल्का फुल्का गुज़रता है लेकिन 2019 में फ़ेडरर एक मैराथन मैच खेलते हैं। 2019 विम्बलडन ओपन का फाइनल ,जो कि अपने आप में एक एपिक है और जिसके बारे में बात करने के लिए हमें नए सिरे से शुरू करना पड़ सकता है। यहाँ जोकोविच से एक कभी न भूलने वाला मैच खेलते हैं और अंत में हार का सामना करते हैं। 

ग्रिगर दिमित्रोव जिन्हें ‘Baby Federer’ के नाम से जाना जाता है कहते हैं, “मुझे याद है मैंने उनके ख़िलाफ़ पहली पहली बार बोसल ( स्विट्ज़रलैंड) में खेला था। मुझे लगा कि मैंने बहुत अच्छी टेनिस खेली है लेकिन वो ऐसे खिलाड़ी हैं जो बहुत तेज़ी से समय को अपनी ओर बहा ले जाते हैं। वो हमेशा अपने प्रतिद्वंद्वी से एक क़दम आगे रहते हैं। वो अपने खेल को लेकर बहुत स्पष्ट हैं जो उन्हें बहुत ख़तरनाक बनाता है। मैं जानता हूँ लोग मुझे और उनको तुलनात्मक दृष्टि से देखते हैं लेकिन वो बहुत अलग हैं। वो महानतम हैं। मुझे उम्मीद है वो खेलते रहेंगे…लेकिन बहुत दिनों तक नहीं ( हँसते हुए)।

2020 और 2021 में फ़ेडरर को चोट ने बिखेर कर रख दिया। ऐसा नहीं है कि फ़ेडरर ने कोशिश नहीं की। उन्होंने फ़्रेंच ओपन खेला तीसरे दौर तक अविजित भी रहे लेकिन विम्बलडन को देखते हुए अपने पैर वापस खींच लिए। विम्बलडन में भी जब तक खेले तब तक बहुत अच्छे लगे, ‘बिल्कुल फ़ेडरर की तरह’, लेकिन घुटने की चोट ने ऐसा परेशान किया कि वापस जाना पड़ा। 

और अब लेवर कप में रोजर आख़िरी बार खेलते हुए दिखाई देंगे।  

क्रिकेट में मानक सचिन होंगे या द्रविड़ यह चर्चा का विषय ज़रूर हो सकता है लेकिन टेनिस में यह काम निश्चित रूप से रोजर ही करेंगे।

उर्दू साहित्य में जो मक़ाम मीर का है, हिंदी में जो स्थान तुलसी का है, क्रिकेट में जो जगह सचिन के नाम से जुड़ी है , फुटबॉल में जो कोना मेसी के नाम से मंसूब है, ठीक वैसे ही टेनिस के गलियारे में एक ऐसा मोड़ है …जहाँ खड़े मिलते हैं ‘ रोजर फ़ेडरर ‘।

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