
कहने को श्रीलंका चारो तरफ़ से समुद्र से घिरा है। किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए राज्य का समुद्र से घिरा होना चारो हाथ घी में होने जैसा है। लेकिन श्रीलंका के साथ ऐसा नहीं है। अर्थव्यवस्था की नाव बीच समंदर में हो तो अच्छा रहता है। लेकिन राजनीति की अल्प इच्छाशक्ति ने श्रीलंका को नाव को किनारे ला दिया है। सुनने में अजीब है लेकिन यहांँ की जनता बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का गला घोंट कर अपने लिए जीवन बचा रही है।
24 जून 2022 को ऑस्ट्रेलियाई पुरूष क्रिकेट टीम ने अपने श्रीलंकाई दौरे का आख़िरी मैच खेला। जैसे तैसे यह मैच वे जीत गए लेकिन श्रृंखला 2-3 से श्रीलंका के नाम रही। श्रृंखला ऐतिहासिक रही और श्रीलंका अरसे बाद एक टीम के रूप में ख़ुद को दर्ज करने में कामयाब रही।
सब कुछ सामान्य रहा लेकिन एक घटना ने या यों कहे एक प्रक्रिया ने, पूरी दुनिया को आर प्रेमदासा स्टेडियम की ओर खींच लिया। आर प्रेमदासा स्टेडियम कहीं पूरा नीला तो कहीं पूरा पीला तो कहीं हल्का हरा दिखाई दे रहा था। किसी ने नीले समंदर को गहरी पीली नदी से जोड़ दिया था। श्रीलंकाई समर्थक बड़े बड़े पीले बैनरों पर संदेश लिख कर लाए थे। उन पर गाढ़े नीले अक्षरों में लिखा था – ‘Thank You Australia’, ‘Thank You Australia For Visiting’, ‘We love You’. मानो श्रीलंका के दर्शक अपने मेहमान से कह रहे थे – ‘घनी अंधेरी रात में एक जुगनू भी बहुत होता है‘। श्रीलंका में क्रिकेट को चाहने वाले की कोई कमी नहीं है। कितने नौनिहाल इस खेल को अपनी उम्र देना चाहते होंगे। उन्हीं में से जाने कितने पिछली अनगिनत रातों से बग़ैर बिजली बग़ैर रोटी सो रहे होंगे। खेल प्रशंसकों को विश्वास है कि अपनी टीम को खेलते-जीतते देखने से पेट नहीं भरता लेकिन नींद अच्छी आती है। जीव-रसायन सहित तमाम विज्ञान इस मनोविज्ञान के आगे निरस्त हैं। उमीद है श्रीलंका के नौनिहालों को अच्छी नींद आई होगी।
हमें बचपन से सिखाया गया है कि संकट आने पर शेर आक्रमण करता है। बिल्ली आँखें दिखाती है। बैल अपनी सींग ज़मीन पर मारता है और आगे की ओर बढ़ता है। कहने का अर्थ यह कि विषम परिस्थितियाँ होने पर जीव आक्रामक हो जाता है। संवेदना रहित हो जाता है। लेकिन हमें ग़लत बताया गया। संकट आने पर मनुष्य, जो कि जानवर श्रेणी का देवता है, संवेदना रहित नहीं होता है। श्रीलकाई दर्शकों ने इस तथ्य पर अपनी संवेदनात्मक मुहर लगाई।
मैच के बाद क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को दिए एक इंटरव्यू में ग्लेन मैक्सवेल ने कहा कि सामान्यत: ऑस्ट्रेलिया दुश्मन की तरह देखा जाता है लेकिन आज ऐसा माहौल देखकर हम दंग रह गए।
मैं खेलों को मानव संस्कृति के सबसे बड़े उत्तराधिकारियों में गिनता हूंँ। बार बार लोग पूछते कि ऐसा क्यूंँ तो मेरे पास आदर्श उदाहरण की कमी रहती थी। लेकिन इस घटना ने मेरे विश्वास को समृद्ध कर दिया है। अब मैं डंके की चोट पर कह सकता हूंँ कि कोई एक खेल भी बचा रहा तो मानव सभ्यता और उसके मूल्य बचे रहेंगे।