बिरहा तूँ सुल्तान : शिव कुमार बटालवी

किसी भी शाइर के हवाले से गुफ़्तगू करने …
आवाज़ दो, हम एक हैं!
किसी भी शाइर के हवाले से गुफ़्तगू करने …
दुनिया की हर अहम ज़बान के पास एक न एक ऐस…
उजले-उजले से कफ़न में सहर-ए-हिज्र ‘फ़िर…
बल्लीमाराँ के मोहल्ले की वो पेचीदा दलील…
लोक-साहित्य हमेशा से मौखिक रहा है यानी …